अब नही करेंगें हम फिक्र तेरी !!
क्युकी तुम्हारी फिकर तो ज़माना करता हैं !!

कुछ बुरे लोगो का ज़िक्र करने से अच्छा !!
कुछ अच्छे लोगो की फ़िक्र कर लू !!

तुम अपनी फ़िक्र करो जनाब !!
हम तो पहले से ही बदनाम हैं !!

तुम्हारी फिकर के लिए !!
हमारा कोई रिश्ता हो ज़रूरी तो नही !!

फ़िक्र तो तेरी आज भी है !!
बस जिक्र का हक नही रहा !!

ये फिकर ये अदावतें ये अंदाज़ ऐ गुफ्तगूं !!
संभल जाओ तुम,तुम्हें हमसे मोहब्बत हो रही है !!

जिक्र तो छोड़ दिया मैंने उसका !!
लेकिन कम्बख्त फिक्र नहीं जाती !!

फिकर करता हू तुम्हारी !!
ज़िकर इसका करना ज़रूरी तो नही !!

किसी की इतनी भी फ़िक्र ना करो !!
की वो तुम्हे ही Ignore करने लगे !!

आज वही कल है !!
जिस कल की फ़िक्र तुम्हें कल थी !!

चाहत फिक्र इम्तेहान सादगी वफा !!
मेरी इन्हीं आदतों ने मुझे मरवा दिया !!

छोटी छोटी बात पर गुस्सा करने वाले लोग वही होते है !!
जो दिल से प्यार और सोच में फिकर रखते है !!

कौन फिक्र करे किसी और की इस जहाँ में !!
चलो कुछ देर और आँख मूँद कर मर जाएँ !!

कभी आओ बैठते है,बतलाते है !!
दुनिया की फिक्र छोड़ ,दिल की सुनाते है !!

फिकर करता हू तुम्हारी !!
ज़िकर इसका करना जरूरी तो नही !!

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