ईद का दिन तो है मगर ‘जाफ़र’ !!

माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़ !!
शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी !!

आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है !!
राग है मय है चमन है दिलरुबा है दीद है !!

ऐ हवा तू ही उसे ईद-मुबारक कहियो !!
और कहियो कि कोई याद किया करता है !!

देखा हिलाल-ए-ईद तो आया तेरा ख़याल !!
वो आसमाँ का चाँद है तू मेरा चाँद है !!

है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन !!
शहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज !!

ईद आई तुम न आए क्या मज़ा है ईद का !!
ईद ही तो नाम है इक दूसरे की दीद का !!

ईद का चाँद जो देखा तो तमन्ना लिपटी !!
उन से तक़रीब-ए-मुलाक़ात का रिश्ता निकला !!

ईद का दिन है गले आज तो मिल ले ज़ालिम !!
रस्म-ए-दुनिया भी है मौक़ा भी है दस्तूर भी है !!

ईद के बाद वो मिलने के लिए आए हैं !!
ईद का चाँद नज़र आने लगा ईद के बाद !!

कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती !!
हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती !!

दुआ है हमारी आपके लिए ये पैग़ाम भी है आपके लिए !!
ईद पर तुम्हारी राह देख रहे हैं इस बार की ईदी आपके लिए !!

महक उठी है फजा पैरहन की खुशबू से !!
चमन दिलों का खिलाने को ईद आई है !!

चलो कि रोते हुओं को हँसा के ईद मनाएँ !!
किसी के दर्द को अपना बना के ईद मनाएँ !!

ईद को भी वो नहीं मिलते हैं मुझ से न मिलें !!
इक बरस दिन की मुलाकात है ये भी न सही !!

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